संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के दूसरे दिन बुधवार को नई संसद में महिलाओं से जुड़ा ऐतिहासिक बिल पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश किया। इस बिल को सभी दालों का समर्थन मिला | बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े | इसे बिल के पास होना के बाध सदन में महिलाओं की 33 प्रतिशत अनिवार्यता हो जाएगी।
क्या है महिलाआरक्षणबिल (What is Women Reservation Bill)
1996 से महिला आरक्षण बिल अधर में लटका हुआ है। 12 सितंबर 1996 को, उस समय की एचडी देवेगौड़ा सरकार ने इस बिल को संसद में पेश किया। इसके बावजूद, यह पारित नहीं हो सका। 81वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया था।
विधेयक में महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 33% आरक्षण में उप-आरक्षण था। लेकिन अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण नहीं मिलता था।
इस बिल का प्रस्ताव है कि प्रत्येक लोकसभा चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाए। रोटेशन के माध्यम से आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित की जा सकती हैं।
महिलाओं के लिए सीट आरक्षण इस संशोधन के लागू होने के 15 साल बाद खत्म हो जाएगा।
महिला आरक्षण बिल की कुछ सरते-
- नई जनगणना के बाद महिला आरक्षण (Women reservation bill) को लागू किया जा सकेगा, इस प्रावधान के अनुसार। मतलब, महिला आरक्षण को लागू करने में अब भी दो बाधा हैं: जनगणना और परिसीमन।
- इससे लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही महिला आरक्षण लागू हो पाएगा।
- इसमें कहा गया है कि आरक्षण शुरू होने के पंद्रह वर्ष बाद इसका प्रभाव समाप्त हो जाएगा। विपक्ष भी महिला आरक्षण को 15 वर्ष तक क्यों सीमित रखा गया है।
- नारी शक्ति वंदन विधेयक (Women reservation bill) में कहा गया है कि महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए आरक्षित एक-तिहाई सीटें भी मिलेगी।
- विधेयक के अनुसार, राज्य और लोकसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।
- लॉ मिनिस्टर अर्जुन राम मेघवाल ने कहा महिला आरक्षण बिल पास होना क पढ़ महिलाओ की संख्या लोक सभ में 82 से बढ़ कर 181 हो जायेगी
महिला आरक्षण बिल पास होने बाद क्या क्या बदलाव किए जायेंगे
33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित
महिला आरक्षण अधिनियम— इस बिल में महिलाओं को लोकसभा में 33 प्रतिशत सीटें दी गई हैं। 128वें संविधान संशोधन विधेयक इसे प्रस्तुत करता है। इस संशोधन के बाद महिलाओं की लोकसभा में एक तिहाई भागीदारी होगी। इस कानून से आधी आबादी का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा और महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी महिला आरक्षण विधेयक में दिल्ली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना भी शामिल है। इसके परिणामस्वरूप दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी अनिवार्य होगी। इससे राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं को सक्रिय राजनीति में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, जो अभी 82 हैं।
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15 साले में खत्म हो जायेगा महिला आरक्षण बिलल
इस बिल के पारित होने के बाद, महिलाएं लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में अधिक मात्रा में शामिल होंगी। महिला आरक्षण 15 साल तक प्रभावी रहेगा इसके बाध यह महिला आरक्षण बिल समाप्त हो जायेगा । इसमें रोटेशन प्रणाली भी शामिल है।